- सच्चिदानंद सच्चू
भारतक पड़ोसी देश श्रीलंकाक पड़ोसी देश नेपाल गंभीर आर्थिक संकट सँ गुजरि रहल अछि। नेपालक विदेशी मुद्रा भंडार मे भारी कमी आएल अछि। समाचारक अनुसार नेपाल मे मात्र छह मासक विदेशी मुद्रा भंडार बांचल अछि। माने छह मास धरि नेपाल आवश्यक समान कीनि सकत, एतबे विदेशी मुद्राक भंडार एत’ बांचल अछि। हमरा सभ लेल सोनाक लंक कें कंगाल हेबा सँ बेसी दुखदायी समाचार कंगालीक दरबज्जा पर ठाढ़ नेपालक अछि। नेपाल एहि स्थिति सँ उबरबाक लेल भारत सँ अनावश्यक समान कीनबा पर रोक लगा देने अछि। एकर प्रभाव भारत पर सेहो पड़तैक एहि मन दू मत नहि। किएक त’ कोरोनाक मारि सँ पीड़ित भारतीय अर्थव्यवस्था सेहो कुहरि रहल अछि। एकर बाद नेपाल द्वारा आवशयक समानक खरीद पर रोक लगेला सँ भारत मे सेहो विदेशी मुद्रा नहि एतेक त’ स्वभाविक अछि जे भारतीय अर्थव्यवस्था सेहो प्रभावित हैत।
नेपाल आवश्यक समान लेल भारत पर निर्भर रहैत अछि। एकर कारण अछि जे नेपाल एकटा लैंडलॉक देश अछि। माने नेपाल कोनो समुद्र सँ सटल नहि अछि। पेट्रोल, डीजल, गैस, धान, तेल सनक नितांत आवश्यक समान लेल ओ भारत पर निर्भर रहैत अछि। समाचारक अनुसार भारत सँ इंपोर्ट पर बैन लगलाक बाद नेपाल मे खेबा-पीबा सन आवश्यक वस्तुक दाम मे सेहो वृद्धि भेल अछि। हम बेर-बेर ई बात कहैत रहल छी जे नेपाल आ भारतक संबंध दिल्ली आ काठमांडू पर निर्भर नहि करैत अछि। कतेको बेर एहनो मामला देखबा मे आएल अछि जे दिल्ली आ काठमांडूक संबंध मे कने मने खटास रहितो छै त’ दुनू देशक लोक हाथ मे हाथ मिला क’ आगू बढ़बा लेल देखल जाइत छथि। दुनियांक लेल प्रेरणा स्रोत बनैत छथि। असल मे भारत आ नेपालक संबंध दिल्ली आ काठमांडूक मोहताज छहियो नहि। ई संबंध त’ प्रगाढ़ होइत अछि बॉर्डर पिलर केर दुनू कात रहनिहार मैथिलक कारण। साझा संस्कृतिक कारण। ई संबंध एहि लेल प्रगाढ़ होइत छै किएक त’ ई संबंध हृदयक अतल गहराइ सँ जुड़ल छै। एहि बात सँ एकदम अलग जे दिल्ली आ काठमांडू हमरा लेल की सोचैए। आ तें स्वभाविक छे जे जहन ओइ पारक लोक कें तकलीफ होइत छै त’ टीस एत’ मारै छै आ जहन एहि पारक लोक कें तकलीफ होइत छै त’ टीस ओत’ मारै छै। सीमाक दुनू पार रहनिहार लोक विकट-विकट परिस्थिति सँ गुजरैत रहल अछि। अहू विकट परिस्थिति सँ हम सभ पार उतरब से भरोस अछि। मुदा जरूरी आइयो इएह अछि जे हम सभ फेर सँ हाथ मे हाथ मिलाबी एहि विकट परिस्थितिक सामना करी। दुनू देशक सरकार सेहो समस्याक लीपापोती करबाक बदला कोनो ठोस रणनीति बनाबय, जाहि सँ सीमाक दुनू पार सुख आ समृद्धिक विकास भ’ सकय।
भारत सरकार कें एहि बात पर विशेष रूप सँ ध्यान देबाक चाही। भायत सँ इंपोर्ट पर प्रतिबंध लगला सँ भारतीय अर्थव्यवस्था कें कतेक नोकसान हैत तकर आकलन त’ विशेषज्ञ लोकनि करता मुदा कहल त’ इएह जाइत अछि जहन पड़ोसीक घर मे आगि लागल हो त’ दोसर कें चैन सँ रहब मूर्खता होइत अछि। आगि श्रीलंका मे लागल हो वा नेपाल मे, लुत्ती कखन उड़ि क’ एमहर आएत ई कहब कठिन अछि। भारतक अधिकांश लोक त’ महगी सँ कुहरिये रहल छथि। बढ़ैत महगी आ घटैत आमदनी घरक आवश्यक वस्तु कें जुटाएब मोशकिल क’ देने अछि। कोरोनाकाल मे एत’ एकटा वर्ग धनिक होइत गेल त’ अधिकांश वर्ग कंगाल होइत गेल। विषमताक एकटा नमहर आ गहींर लकीर अहीठाम खीचल गेल। अहूक लेल देशक आर्थिक नीतिये जिम्मेवार होइत अछि।
नेपाल अपन कुल इंपोर्ट केर 64% भाग भारत सँ लैत अछि। 2019 केर आंकड़ा अनुसार भारत सँ नेपाल 7.7 बिलियन डॉलर केर सामान कीनलक। 2020-21 मे नेपाल भारत सँ 886 अरब नेपाली टाकाक इंपोर्ट कयलक। ओतै नेपाल चीन सँ 16 प्रतिशत भाग इंपोर्ट करैत अछि। कहल जा रहल अछि जे ई प्रतिबंध सीमित समयक लेल अछि। स्थिति सामान्य भेलाक बाद प्रतिबंध हटा लेल जाएत। कहिया धरि, से अखन साफ नहि अछि। जँ ई पैघ समय लेल रहल त’ भारतीय अर्थव्यवस्था कें नीक नोकसान हेबाक आशंका अछि।
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